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ईरान का असली किंग कौन? सुप्रीम लीडर खुमैनी या राष्ट्रपति रईसी, किसके हाथ में रहती है सत्ता की चाबी, जानें

ईरान अकेला ऐसा देश है जिसकी कार्यपालिका सशस्त्र बलों पर नियंत्रण नहीं रखती है। राष्ट्रपति का भी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, खुफिया और सुरक्षा मंत्रालय पर नाममात्र का ही शासन होता है। वास्त्व में सुप्रीम लीडर ही विदेशी और घरेलू सुरक्षा के सभी मामलों को निर्देशित करते हुए फैसला लेता है।

तेहरान: ईरान की इजरायल के साथ तनातनी पर इस समय दुनियाभर की निगाहें हैं। ईरान की ओर से लगातार इजरायल को चेताने वाले बयान आए हैं। इसमें ईरानी विदेश मंत्री, राष्ट्रपति के अलावा सुप्रीम लीडर के बयान भी शामिल हैं। हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति रईसी ने पाकिस्तान का दौरा किया और कई अहम बातें कही हैं। इस सबके बीच ये सवाल भी उठ रहा है कि आखिर ईरान की सत्ता किसके हाथ में है यानी ईरान का सबसे ताकतवर आदमी कौन है, जो सबसे निर्णायक फैसले ले सकता है।

ईरान की सरकार और संस्थाओं में शक्ति के बंटवारे को देखें तो सुप्रीम लीडर की स्थिति सबसे मजबूत है। ईरान में सुप्रीम लीडर सबसे ऊपर है। उनके बाद राष्ट्रपति, न्यायपालिका, संसद, गार्जियन काउंसिल और आर्म्स फोर्स आती है। फोर्स के तीन भाग- सेना, पुलिस और इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स है। पुलिस का एक हिस्सा मोरेलिटी पुलिस भी है। वहीं इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स के अंदर एक शाखा बासिज है।

ईरान में सुप्रीम लीडर और राष्ट्रपति की ताकत

ईरान में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति अयातुल्ला अली खुमैनी हैं, जो 1989 से देश के सर्वोच्च नेता हैं। वह स्टेट हेड और कमांडर-इन-चीफ है। उनके पास राष्ट्रीय पुलिस और मोरिलिटी पुलिस को आदेश देने के अधिकार है। साथ ही सुप्रीम लीडर इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) को भी नियंत्रित करते हैं। न्यायपालिका के प्रमुख को भी वही चुनते हैं।

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सुप्रीम लीडर के बाद राष्ट्रपति ईरान के शीर्ष निर्वाचित अधिकारी और दूसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी इस समय ईरान के राष्ट्रपति हैं। ईरान में राष्ट्रपति सरकार के रोजमर्रा के कामकाज के लिए जिम्मेदार है। साथ ही घरेलू नीति और विदेशी मामलों पर वह महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है लेकिन सुरक्षा मामलों में राष्ट्रपति की शक्तियां अपेक्षाकृत सीमित हैं। राष्ट्रपति का आंतरिक मंत्रालय राष्ट्रीय पुलिस बल चलाता है लेकिन इसके कमांडर की नियुक्ति सर्वोच्च नेता करता है। सुप्रीम लीडर किसी विरोध प्रदर्शनों को बलपूर्वक समाप्त करने के लिए कहे तो राष्ट्रपति उनकी बात मानने को बाध्य है।

ईरान की संसद और न्यायपालिका

ईरानी संसद के 290 सदस्य हर चार साल में सार्वजनिक रूप से चुने जाते हैं। ससंद कानून का मसौदा तैयार करती है। अंतरराष्ट्रीय संधियों की पुष्टि करती है और देश के बजट को मंजूरी देती है। हालांकि संसद पर गार्जियन काउंसिल का नियंत्रण है, जो प्रभावशाली निरीक्षण निकाय है। ये शरिया या इस्लामी कानून की नजर से संसद द्वारा पारित सभी कानूनों की जांच करता है और कानून रद्द कर सकता है। काउंसिल के आधे सदस्य सुप्रीम लीडर नियुक्त करता है।

ईरान की न्यायपालिका को बड़े पैमाने पर सर्वोच्च नेता द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सुप्रीम लीडर ही न्यायपालिका के प्रमुख की नियुक्ति करता है। ईरान में सार्वजनिक अदालतें दीवानी और फौजदारी मामलों से निपटती हैं। ईरान में राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ अपराध, नशीले पदार्थों की तस्करी और इस्लामी गणराज्य को कमजोर करने वाले अपराधों के लिए विशेष अदालतें भी हैं।


 

पुलिस और आईआरजीसी

ईरान में मोरेलिटी पुलिस राष्ट्रीय पुलिस का हिस्सा है। इस बल की स्थापना 2005 में इस्लामी नैतिकता और उचित पोशाक पर कानूनों को बनाए रखने के लिए की गई थी, जिन्हें 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद पेश किया गया था। इसके अनुमानित 7,000 पुरुष और महिला अधिकारियों के पास चेतावनी जारी करने, जुर्माना लगाने या संदिग्धों को गिरफ्तार करने की शक्ति है।

आईआरजीसी आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए ईरान का मुख्य संगठन है, इसकी स्थापना क्रांति के बाद देश की इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए की गई थी। आईआरजीसी 1,50,000 से अधिक कर्मियों के साथ ईरान में एक प्रमुख सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक शक्ति है। इसकी अपनी जमीनी सेना, नौसेना और वायु सेना है। यही ईरान के रणनीतिक हथियारों की देखरेख करती है। इसकी एक विदेशी शाखा है जिसे कुद्स फोर्स कहा जाता है जो पूरे मध्य पूर्व में सहयोगियों को धन, हथियार, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण प्रदान करती है।

आईआरजीसी ही बासिज रेजिस्टेंस फोर्स को भी नियंत्रित करता है। बासिज प्रतिरोध बल का गठन 1979 में एक स्वयंसेवी अर्धसैनिक संगठन के रूप में किया गया था। इसकी ईरान के हर प्रांत और शहर में और देश के कई आधिकारिक संस्थानों में शाखाएं हैं। ये फोर्स 2009 में विवादित राष्ट्रपति चुनाव के बाद से सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने में बड़े पैमाने पर शामिल रहे हैं।

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